Monday, November 14, 2011

नरम मखमली बिस्तर के........

नरम मखमली बिस्तर  के
कोनों पर
रखकर पाँव,
दूसरे कोने पर
दो तकिया रख......
पेटों के बल
अधलेटी सी,
दायें हाथों की ऊँगली में
है ,फंसी कलम
बांयी को कुहनी से
मोड़े
बाँधी मुठ्ठी,रख दी है अपने
गालों पर.
आँखों को करके बंद
ज़रा
कुछ सोच-समझ ,कुछ
शब्द नए, कुछ
भाव नए,
आ गए लगा.....
आगे की बात कहूं
अब क्या
आ गयी नींद ......
जब खुली आँख देखा
'कॉपी' पर
लिखी हुई .......आराम करो . 

28 comments:

  1. वाह ...बहुत बढि़या।

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  2. Achhi rachna,achhi bhaawabhivyakti !

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  3. so kar uthaa
    laptop kholaa
    kavitaa ko padhaa
    phir se so gayaa

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  4. सजीव कर दिया चित्र लेखनी ने...!

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  5. बढिया अन्दाज़ है।

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  6. Aankhon ke aage ek tasveer ban gayee!

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  7. बहुत बढ़िया कविता... नर्म कोमल...

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  8. बिम्ब यथार्त से मिलकर सुखद भाव पैदा कर गया। वाह!
    और यह कहने को मन कर उठा:
    किस किस को याद कीजिये किस किस को रोईये,
    आराम बडी चीज़ है मूँह ढक के सोईये!

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  9. बहुत ही प्यारी सलाह...

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  10. वाह...बहुत अच्छी रचना...आराम से बेहतर और क्या है?

    नीरज

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  11. वाह!! ये भी अनोखा अंदाज़ है आपकी कविता का!! पसंद आया!!

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  12. बहुत ही अच्छी..... पढ़ते-पढ़ते ही चित्र बन गया.....

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  13. इस कविता के फ़ुरसत के पल हमें भी उस पल की अहसास करा गए।

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  14. :):) ...कितने सुकूं से बिताया ये आराम का पल ..

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  15. शब्दों से बहुत अच्छा चित्र खींचा है ...

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  16. wah...bistar, kalam aur kavita mano rishtedaar se hain
    hahaha:-)

    www.poeticprakash.com

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  17. आराम में ही राम छिपा है...

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  18. शब्द नए, कुछ
    भाव नए,
    आ गए लगा.....
    आगे की बात कहूं

    और इसे जारी रखें आगे भी
    लेकिन आराम के साथ....!!

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  19. कविता कि अंतिम पंक्ति चौंका ही गयी. बहुत badhiya..

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  20. बहुत अच्छी रचना...आराम से बेहतर और क्या है?

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  21. अति सुन्दर अभिव्यक्ति, मानव मन
    के धरातल पर लिखी हुई कविता.
    अच्छा एवं सफल प्रयास.
    धन्यवाद.
    आनन्द विश्वास.

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  22. chitrmay kavita aur ant mein haasya ka tadka.........umda..

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