Wednesday, February 1, 2012

जो मिल जाये,तो कह देना........

मैंने तेरे 
होठों की ख़ातिर 
मुस्कानें,
भेजी थी..........जो 
मिल जाये,तो 
कह देना.        
मैं लाज 
तुम्हारी आँखों को,
लाली गुलाब की 
गालों को
और धूप-छांव से 
बुनी हुई,
चोटी भेजी थी 
बालों को.
मैं हरित तृणों की 
कोमलता,
शबनम की स्वच्छ 
धवलता,
कुछ भ्रमर दलों के 
गीत मधुर,
तितली की सरल 
चपलता,
फिर किसलय का 
भीना सुवास,
नवजात कुसुम की 
पुलक,हास
और 
स्वप्न-सुरा के 
रंगों की ख़ातिर 
कुछ किरणें 
भेजी थी........जो 
मिल जाये,तो 
कह देना,
मैंने तेरे 
होठों की ख़ातिर 
मुस्कानें,
भेजी थी.........जो 
मिल जाये,तो 
कह देना.

42 comments:

  1. वाह वाह...
    बहुत ही सुन्दर मृदुला जी..
    बेहद मधुर और कोमल सी रचना..
    मुझे बहुत भायी.
    सस्नेह.

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  2. आज तो खड़े होकर तालियाँ बजाने को जी चाहता है.. बहुत ही सुन्दर कविता... शब्द नहीं हैं आज कुछ कहने को!! अपने गुरुदेव याद आ गए!!

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  3. मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.
    bahut sunder rachna ...

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  4. शबनम की स्वच्छ
    धवलता,
    कुछ भ्रमर दलों के
    गीत मधुर,
    तितली की सरल
    चपलता,

    मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.

    thanx Mridulaji.....
    sab mil gaya....!!
    ati sundar rachna...

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  5. मृदुला जी,..बहुत सुंदर,बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण..

    NEW POST...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

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  6. अनमोल सौगातें जिसे मिली निहाल हो गया ...
    खूबसूरत गीत !

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    Replies
    1. मैंने तेरे
      होठों की ख़ातिर
      मुस्कानें,
      भेजी थी.........जो
      मिल जाये,तो
      कह देना.
      Kya baat hai!

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  7. बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना! बधाई !

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  8. मेरी बात
    समझ जाओ तो
    बस मुस्कारा देना
    बेहद ख़ूबसूरत एवं रचना!

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  9. मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.
    वाह ...बहुत ही बढि़या।

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  10. wah -wah subhan alha .........khubsurat .mahakta sa pyar ...मिल जाये,तो
    कह देना...........dil ke jajbaat , pyaras a intjar pura ho jaye to kah dena :):):):):):)........lovely

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  11. bahut pyaare bhaav...

    मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.

    sundar rachna ke liye badhai Mridula ji.

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  12. मैं हरित तृणों की
    कोमलता,
    शबनम की स्वच्छ
    धवलता,
    कुछ भ्रमर दलों के
    गीत मधुर,
    तितली की सरल
    चपलता,
    फिर किसलय का
    भीना सुवास,
    नवजात कुसुम की
    पुलक,हास
    और
    स्वप्न-सुरा के
    रंगों की ख़ातिर
    कुछ किरणें
    भेजी थी.....

    वाह वाह वाह.....
    मृदुला जी उसे मिली हों या नहीं पर हमारे होंठों पर तो मुस्कान है ....

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  13. उत्‍कृष्‍ठ लेखन

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  14. बेहद खूबसूरत कविता।

    सादर

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  15. कल 03/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  16. मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.bahut khoob mridula jee.

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  17. मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.........बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  18. खूबसूरत सन्देश..

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  19. मिल गयीं.... मुस्कानें

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  20. लाजवाब उपहार ....मुस्कान का आना लाजमी है

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  21. अहा! बहुत ही प्यारी रचना!

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  22. बहुत सुन्दर रचना...सब कुछ दिखाई दे रहा है इस रचना में सारी की सारी भावनाएं... आभार

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  23. इतनी सुन्दर चीज़ें भेजी हैं...पक्का बताया जाएगा कि मिली या नहीं.

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  24. बेहद खूबसूरत रचना..।

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  25. बहुत सुंदर कोमल अहसास...बहुत सुंदर प्रस्तुति..

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  26. स्वप्न-सुरा के
    रंगों की ख़ातिर
    कुछ किरणें
    भेजी थी........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना,
    मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.


    kamaal.. !!

    kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega... aapka swagat hai..

    palchhin-aditya.blogspot.in

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  27. वाह .. जिसको भेजीं उसको मिली या नहीं ये तो पता नहीं ..पर पढते हुए मैं ज़रूर मुस्कुराती रही ..सुन्दर प्रस्तुति

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  28. बहुत सुन्दर रचना .. आभार
    kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega... aapka swagat hai..

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  29. मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.

    bahut acchhhe ehsas jage....bahut sunder.

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  30. बहूत बेहतरीन ,खुबसुरत रचना है
    mauryareena.blogspot.com

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  31. बहुत ही सटीक भाव..सुन्दर प्रस्तुति
    मगर बेहद प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की बधाई

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  32. मैंने तेरे
    होठों की ख़ातिर
    मुस्कानें,
    भेजी थी.........जो
    मिल जाये,तो
    कह देना.
    bahut hi sundar abhivykti .....sundar andaj me ...badhai Pradhan ji

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  33. सुन्दर भाव .. लाजवाब कविता ... किसी के होटों पे मुस्कान संजाना भी एक कला है ...

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  34. आपकी सारी सौगातें मिल गयीं...हमें भी भेजी थीं न...बहुत बहुत आभार!

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  35. खूबसूरत भाव...

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