Saturday, January 19, 2013

छः वर्ष के बच्चे के .......हाथों से जब

                 

अपने ' nephew' के नाम.....जो विभिन्न उपलब्धियों को हासिल करते हुए , वाशिंगटन में 'World-bank' के एक
प्रतिष्ठित पद पर आसीन हैं . हाल ही में उनका एक भाषण सुनने को मिला.......          

Sanjay Pradhan: How open data is changing international aid
Sanjay Pradhan is vice president of the World Bank Institute, helping leaders in developing countries learn skills for reform, development and good governance.
यह उसी की प्रतिक्रिया है......काश! कुछ और लोग भी इस 'छोटी सी' पर 'बड़ी बात' से प्रेरणा ले पाते......



छः वर्ष के बच्चे के          
हाथों से जब,
एक पिता 
मिठाई,                          
आधी खाई हुई 
छीनकर,
दूर फेंक देता है,
रिश्वत के रस्ते आयी, 
ज़हरीली है,
ऐसा कुछ 
कह देता है.......
तब 
बाल-सुलभ ,कोमल-मन 
हतप्रभ,
बेहिसाब 
रोता है........पर 
उसी  सुदृढ़ सच्चाई की 
अनुपम मिसाल का 
बल लेकर, 
जीवन-क्रम में,
तुम जैसा बन 
नभ को छूता है.
                            

31 comments:

  1. उसी सुदृढ़ सच्चाई की
    अनुपम मिसाल का
    बल लेकर,
    जीवन-क्रम में,
    तुम जैसा बन
    नभ को छूता है.

    इसी प्रेरणा की जरुरत है !!

    पोस्ट
    Gift- Every Second of My life.

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  2. कमाल है ...बधाई !
    बहुत सुंदर रचना !

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  3. दिल को छूने वाली रचना .....

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  4. बहुत खूब ... सच है बचपन में जो बात गिरह बंध जाती है सदा साथ रहती है ...

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  5. अनुपम मिसाल की लाजबाब दिल को छूती प्रस्तुति,,,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

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  6. वाह ... बहुत अच्छी सोच

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  7. सुन्दर सीख भरी प्रेरणापद कविता .
    आखिर बच्चा अपने माता-पिता से ही तो सीखता है .

    सादर !

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  8. बहुत सुन्दर कहा है. ऐसे की वाकये उत्कर्ष की ओर ले जाते हैं.

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  9. इस तरफ आईयेगा...तो मिलवाईयेगा...मेरा अहोभाग्य होगा!!

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  10. अच्छी बात है ...सुन्दर रचना....परन्तु वह मिठाई बच्चे के हाथ तक आयी ही कैसे ....????

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  11. प्रेरणादायी रचना..बधाई आपको व आपके भांजे को...मिठाई जरूर पिता की अनुपस्थिति में आ गयी होगी..

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  12. सच है । संजय को अनेक शुभकामनाएं ।

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  13. सत्य है ऐसी अनुपम मिसालें सबक देती हैं और भविष्य में जीवन की राह आसान करती है.

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  14. बहुत सुंदर,दिल को छूनेवाली रचना !!

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  15. तब
    बाल-सुलभ ,कोमल-मन
    हतप्रभ,
    बेहिसाब
    रोता है........पर
    उसी सुदृढ़ सच्चाई की
    अनुपम मिसाल का
    बल लेकर,
    जीवन-क्रम में,
    तुम जैसा बन
    नभ को छूता है.

    प्रेरणादायी रचना..बधाई

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  16. सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  17. वाह ....मज़ा आ गया ...वाकई ...!काश ऐसा चरित्र देश को चलानेवालोंका होता ....खैर !!!

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  18. बहुत सुन्दर व प्रेरणादायी ।

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  19. बहुत सुंदर .... बचपन से ही संस्कार पड़ते हैं ....

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  20. वे बचपन के संस्कार ही होते हैं जो भविष्य की ऊंचाई निर्धारित करती हैं.. जब हम बिगड़े हुए समाज को देखते हैं तो सबसे पहले यही बात दिमाग में आती है कि माँ बाप ने अच्छे संस्कार नहीं दिए या शिक्षक सच्ची शिक्षा देने में सफल न हो सका!!
    संजय जी के लिए शुभकानाएं!!

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  21. बेहद सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.

    आपको गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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  22. बहुत बढ़िया प्रेरणाप्रद रचना ..

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  23. बहुत प्रेरक सन्देश...

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  24. मेहनत, ईमानदारी और कर्तव्यपरायण होने का पाठ जीवन में सबसे पहले बच्चा अपने घर से सीखता है. और ऐसी परवरिश का परिणाम आपके भतीजे का उच्च स्थान हासिल करना. प्रेरक रचना. आप सभी को बधाई.

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  25. This comment has been removed by the author.

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  26. Bahut hi sundar, Chhoti Maa. I am so very grateful for this most beautiful poem on my TED talk. I will deeply cherish this. With much gratitude, Sanjay Pradhan

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