Monday, February 4, 2013

ऋतुराज वसंत की गलियन में .........

यह कविता लगभग पच्चीस-तीस साल पहले, अपनी बेटियों को जगाने के लिए लिखी थी, हर साल वसंत- ऋतु में ज़रूर मन में घूमने लगती है.......

ऋतुराज वसंत की गलियन में
कोयल  रस-कूक   सुनावत हैं,
अधरों  पर   राग-विहाग लिए
अमरावाली  में,  इठलावट   हैं.
मधु-मदिरा पी, भ्रमरों के दल
कलियों  पर  जा  मंडरावत हैं,
मणि-माल लिए रश्मि-रथ पर
अब   भानु उदय को  आवत हैं . 
लखि   शोभा ऐसी  नैनन   सों
मृदु मन सबके   पुलकावत हैं,
पनघट जागी, जागी  चिड़िया
मेरी      गुड़िया  भी  जागत हैं.

28 comments:

  1. ऋतुराज वसंत की गलियन में
    कोयल रस-कूक सुनावत हैं,
    अधरों पर राग-विहाग लिए
    अमरावाली में, इठलावट हैं.
    अनुपम भाव ... बसंत आगमन पर

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  2. बढ़िया प्रस्तुति |
    शुभकामनायें आदरेया ||

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  3. भई वाह .....
    इस गीत में आनंद आ गया मृदुला जी !
    बधाई आपको !

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  4. aa to gaya rituraj swagat karna hai hame..........bahut sundar rachna

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  5. बेहतरीन अभिव्यक्ति ।

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  6. लखि शोभा ऐसी नैनन सों
    मृदु मन सबके पुलकावत हैं,

    अति मधुर राग बिहाग .....
    मन पुलकित कर रही है .....

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  7. बहुत खूब..बिटिया को जगाने के लिए इतनी सुंदर काव्य रचना..बधाई !

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  8. बसंत आगमन पर लयबद्ध अनुपम भाव लिए सुंदर रचना ,,,,बधाई,मृदुला जी,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  9. वाह बहुत ही मधुर भाव संजोये हैं।

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  10. बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुती।

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  11. बहुत ही सुन्दर, प्यारी रचना...
    :-)

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  12. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (06-02-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  13. वसंत के शुभागमन की उद्घोषणा करती बहुत ही सुन्दर एवं मधुर रचना ! मन महक उठा !

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  14. बहुत प्यारा लिखा है आपने.

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  15. बहुत सुंदर रचना .... बसंत आ ही गया

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  16. सुन्दर काव्यात्मक लयात्मक अभिव्यक्ति ...
    बसंत का आगमन द्वारे है ....

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  17. अदभुत--बहुत सुंदर
    बहुत बहुत बधाई

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  18. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 07-02 -2013 को यहाँ भी है

    ....
    आज की हलचल में .... गलतियों को मान लेना चाहिए ..... संगीता स्वरूप

    .

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  19. बहुत सुन्दर कविता .... :-)
    ~सादर!!!

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  20. मणि-माल लिए रश्मि-रथ पर
    अब भानु उदय को आवत हैं .
    लखि शोभा ऐसी नैनन सों
    मृदु मन सबके पुलकावत हैं,
    पनघट जागी, जागी चिड़िया
    मेरी गुड़िया भी जागत हैं.

    मेरी आज भी हमें
    उठो बालकों हुआ सवेरा
    चिड़ियों ने तज दिया बसेरा
    गाकर उठाती है ...
    आपने याद ताजा कर दी

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  21. वसंत का अनुपम सौंदर्य, सुंदर रचना!

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  22. Behtreen panktiya .. Abhar
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html

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  23. ye Vasant ka surabhit swagat
    sabke man ko ati bhawat hai .

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