Tuesday, February 26, 2013

चाय......

आज सुबह में 
चाय नहीं 
कुछ ठीक बनी थी, 
दूध ज़रा ज्यादा था 
या 
कि चीनी खूब पड़ी थी 
या फिर शायद 
उलझन कोई 
मन में हुई 
खड़ी थी, 
आज सुबह में 
चाय नहीं 
कुछ ठीक बनी थी. 
चाय की पत्ती 
कम थी 
या 
कि रंग नहीं आया था 
या फिर शायद 
नींद लगी थी 
मन कुछ अलसाया था, 
आज सुबह में 
चाय नहीं 
कुछ ठीक बनी थी.

22 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 02/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. वाह मित्र वाह.......

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  3. सुबह की चाय यदि स्वाद के अनुसार न हो तो दिन भर कुछ खोया खोया सा रहता है..सुंदर कविता..

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  4. मन फीका होने के कारण चाय में स्वाद भी नहीं आया..
    भावपूर्ण रचना....

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  5. आपकी पोस्ट 27 - 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें ।

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  6. सुंदर रचना
    बधाई

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  7. सुबह की चाय में अगर स्वाद न हो तो पूरा दिन बेस्वाद हो जाता है ,,,,

    Recent Post: कुछ तरस खाइये

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  8. चाय की पत्ती
    कम थी
    या
    कि रंग नहीं आया था
    या फिर शायद
    नींद लगी थी
    मन कुछ अलसाया था,
    आज सुबह में
    चाय नहीं
    कुछ ठीक बनी थी.

    sometimes it happens in life unexpected.

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  9. मन का जायका ठीक नहीं तो मन का जायका ठीक नहीं !
    latest post मोहन कुछ तो बोलो!
    latest postक्षणिकाएँ

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  10. kahi na kahi to man bhi phika hoga...........

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  11. कुछ तो होता है मन में ठहरा नहीं है ...
    बिम्ब के माध्यम से दिल की बात खोलना .... बहुत लाजवाब लिखा है ...

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  12. अनमने हो कर यही होता है!

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  13. होता है ऐसा भी..... बहुत कुछ मन से ही जुड़ा है ...

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  14. वहा बहुत खूब बेहतरीन

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

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  15. सुंदर अभिव्यक्ति....

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  16. दिल की बात कह डाली. सुंदर कविता.

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  17. कितनी बार जी है आपकी ये कविता । एकदम सच्ची सुंदर प्रस्तुति ।

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  18. असाधारण प्रस्तुति मृदुला जी बधाई स्वीकारे सच ही है चाय का स्वाद,रंग सही न हो तो मौसम बेमज़ा हो जाता है और खासकर उस सुबह की चाय की प्याली का तो कहना ही क्या कमाल लिखा अपने एक बार फिर बधाई ...

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  19. .............. बहुत खूब बेहतरीन

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