अम्मा बाज़ार नहीं जाती थीं.....त्योहारों पर बाबुजी थाक-पर थाक साड़ी लेकर घर आते थे और घर ही में पसंद की साड़ी चुनती थीं......क्या ज़माना था.
Monday, September 16, 2013
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something for mind something for soul.
:-)
ReplyDeleteसच.....क्या ज़माना था...
अनु
अब ये सब बातें स्वप्न की तरह हैं ...
ReplyDeleteसच.....क्या ज़माना था...
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