आज की युवा पीढ़ी ,एक नई सोच,एक नये उत्साह और भरपूर आत्मविश्वास के साथ ,सर उठाकर जीना चाहती है,आसमान को छूना चाहती है.…और इसके लिये बेहद ज़रूरी है कि समाज का हर वर्ग समानाधिकार के साथ,अपना-अपना दायित्व संभाले,कदम-से-कदम मिलाकर विकास के रास्ते पर चले ……न कोई छोटा हो न कोई बड़ा,न कोई ऊँचा हो न कोई नीचा......निश्चय ही रास्ता सुगम हो जायेगा,मंज़िल तक पहुँचना आसान और तरक्की के सभी द्वार खुद-ब-खुद खुलते चले जायेंगे......लेकिन इन सबके बीच में ,एक बहुत बड़ी रुकावट है ……. और वो है 'आरक्षण'. हो सकता है कभी किसी सामाजिक व्यवस्था में इसकी आवश्यकता रही हो किन्तु आज के परिवेश में 'आरक्षण' समाज के विकास में बाधक और एक अनावश्यक बोझ के अलावा कुछ भी नहीं.यह वर्ग,वर्ण और जाति विशेष को आगे की ओर नहीं बल्कि पीछे की ओर ले जाता है,इससे सम्मान की नहीं अपमान की गंध आती है.…… काश! ये 'आरक्षण' नाम का पत्थर रास्ते से हट जाये......और एक स्वस्थ ,खिलखिलाते हुये सुबह का हम स्वागत कर सकें...... ये मैं सोचती हूँ ,पता नहीं आप सब मित्र लोग क्या सोचते हैं.…….
Sunday, June 8, 2014
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आपकी लिखी रचना मंगलवार 10 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
युवा मतलब नयी सोच दुनिया दिन-प्रति-दिन आगे ही बढ़ी है...पुरानी सोच हमेशा नयी सोच पर हावी होने की कोशिश करती रही है...किन्तु सफल नहीं हुयी...आरक्षण पूरा सियासी विषय है...रोटी अगर प्लेट में मिलाने लगे तो उसका मोल कम हो जाता है...
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक लिखा
ReplyDeleteसादर---
आग्रह है-- जेठ मास में--
sundar vichar
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