Monday, June 6, 2022

दिल से दिल तक..

दिल से दिल तक के 

रस्ते पर 

भारी,ट्रैफिक जाम लगा है.…… 

हर्ष-विषादों की 

जमघट है,

सही-गलत की 

तख्ती है,

चुप्पी की आवाज़ 

घनी है 

अहंकार की 

सख्ती है.…… 

नाराज़ी की भीड़-भाड़ में 

तरल गरल की 

हलचल है,

चढ़ा मुलम्मा छल पर 

निकला,

जिसमें जितना 

बल है……. 

झूठ-शिकायत की 

पेटी है,

इल्ज़ामों के दश्ते हैं,

राजनीति की सधी 

चाल से 

टूटे-बिखरे 

रिश्ते हैं.…….

7 comments:

  1. ये तो आपने गज़ब बात कह दी । दिल से दिल का रिश्ता भी जाम है । लाजवाब रचना ।

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  2. वाह ! इस ट्रैफिक जाम को खुलवाने का कोई इंतजाम भी है या

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  3. अच्छी कविता मृदुला जी

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  4. Excellent post. Keep posting such kind of info on your blog.

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