Tuesday, December 14, 2010

मधुमय तुम्हारा हास.......

मधुमय तुम्हारा हास
मेरे मन का बसंत है,
सुमधुर तुम्हारे श्वासों का
आरोह – अवरोह,
मेरी कल्पना में,
मेरी प्रेरणा में,
कुसुम कली से सुरभित
तरूलता सी,
लिपटी हुई है
और इन आँखों की नमी,
सिर्फ तुम्हारी है ।

41 comments:

  1. और इन आँखों की नमी,
    सिर्फ तुम्हारी है

    हास भी और नमी भी ...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. मृदुला जी!
    दिल के कोमल भावों को बहुत खूबसूरती से बयान किया है!!

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  3. सुन्दर रचना, साधुवाद

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  4. कविता भाषा शिल्‍प और भंगिमा के स्‍तर पर समय के प्रवाह में मनुष्‍य की नियति को संवेदना के समांतर, दार्शनिक धरातल पर अनुभव करती और तोलती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    आज की कविता का अभिव्‍यंजना कौशल

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  5. भावों में कोमलता है .
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. मृदुला जी,

    बहुत सुन्दर भाव....

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  7. मृदुला जी,
    आपकी कविता कोमल भावनाओं का सुन्दर गुलदस्ता है जो मन को सुवासित करने में सक्षम है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  8. मन के कोमल भाव
    सुन्दर चयनित शब्द
    और पठनीय प्रस्तुति .....

    एक अच्छी कृति पर बधाई

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  9. सुन्‍दर शब्‍दों के साथ बेहतरीन शब्‍द रचना ।

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  10. मन को छूनेवाली एक सुंदर भावयुक्त रचना !

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  11. bahut sunder shbdo me apne bhavon ko piroya hai apne sabhi kavitaye sunder lagi........

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  12. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (16/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  13. सीधे उतर गया ये हास और ये नमी ... बहुत ही मधुर अभिव्यक्ति .....

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  14. सुन्दर भावों से सजी उत्तम प्रस्तुति...

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  15. और इन आँखों की नमी,
    सिर्फ तुम्हारी है

    बहुत सुंदर तरीके से आपने अपनी भावनाओं को शब्द दिए हैं...एक उत्कृष्ट रचना।

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  16. और इन आँखों की नमी,
    सिर्फ तुम्हारी है ।
    bahut sundar!

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  17. मधुर -मधुर मेरे दीपक जल..
    महादेवी जी की याद दिला दी....नए अंदाज़ में.....अद्भुत अभिव्यक्ति....
    राजेश

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  18. sundar shabdo me buni sundar aur komal bhav abhivyakti .

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  19. adnaa si nazm mein kitni pyaari baat hai....bohot khoobsurat !!

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  20. बहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित...आज की रचना "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद

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  21. ......और इन आँखों की नमी,
    सिर्फ तुम्हारी है । .........
    एक सुंदर भावयुक्त रचना !

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  22. कोमल अहसासों की भावमयी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर. आभार

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  23. मृदुल प्रेममय भावोद्गार !!!

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  24. दिल के कोमल भावों,अहसासों को खूबसूरती से बयान किया है

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  25. मधुर भाव और मधुर अभिव्यक्ति !

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  26. बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ , शुभकामनाएं !

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  27. इस प्यारी सी कविता में से दो पंक्तियां छांटना मेरे लिये कठिन होगा
    सुंदर भावाभिव्यक्ति !

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  28. jiske paas aankhon ki nami hai, use aur kya chahiye

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  29. मृदुला जी
    आपकी कविता का एक-एक शब्द बहुत सुन्दर है...

    मधुमय तुम्हारा हास
    मेरे मन का बसंत है,
    सुमधुर तुम्हारे श्वासों का
    आरोह – अवरोह,
    मेरी कल्पना में,
    मेरी प्रेरणा में,
    कुसुम कली से सुरभित
    तरूलता सी,
    लिपटी हुई है
    और इन आँखों की नमी,
    सिर्फ तुम्हारी है ।


    बहुत सुन्दर...

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  30. आपके ब्लॉग को Follow करना चाहते हैं...

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  31. अति सुंदर भावाभिव्यक्ति !

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  32. mridula ji bahoot hi sunder prastuti........bhavon ko sunder abhivayakti di hai aapne.

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  33. आदरणीय मृदुला जी
    नमस्कार !
    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
    मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

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  34. किसी का हास प्रेरणा बन यदि आँखों से छलक जाये फिर इससे ज्यादा क्या चाहिए!!!सुंदर मन की सुंदर अभिव्यक्ति.............

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