हवा का एक तेज़ झोंका
मेरी उनींदी आँखों को खोल गया
जब खोली मैंने,
अपने कमरे की
कबसे बंद खिड़की........
जब खोली मैंने,
अपने कमरे की
कबसे बंद खिड़की,
बारिश की तेज़ फ़ुहार
सहला गयी
मेरे
अंतर्मन को.
ख्यालों के चक्रव्यूह में
घिरा
मेरा मन,
अँधेरे की हल्की सी
पदचाप भर
सुना ......
कि
अचानक
सूरज की तेज़ किरणें
ठहर गयीं,
मेरे ऊपर
और
धूप की चमकती
नर्म गर्माहट,
मैंने अपनी मुट्ठी में
बांध ली..........
कि
अब ,अँधेरा
कभी नहीं होगा .........