Monday, August 8, 2022

मैथिली में ..

 मैथिली में ..


इ दिल्ली छैक

एतय ठामे-ठामे

इतिहासक पृष्ठ

खुजल भेटत..


चाँदनी चौक,जामा मस्जिद

लाल किला

जंतर-मंतर, राज घाट 

मजनूँ के टिला..


अमीर खुसरो, हजरत निज़ामुद्दीन के 

दरगाह

बिड़ला मन्दिर, हुमायूँ टुंब

क़ुतुब मिनार वाह !..


बड़का लोग

छोटका  लोग

दर्जे-दर्जे 

मिडिल क्लास..


रंग-रंग के 

क्रीड़ा-कौतुक 

डेगे-डेगे

उमंग-उल्लास ..


इ दिल्ली छैक

सर्वोच्च सिंघासन पर बैसल 

देशक 

राजधानी ..


आँखि फोईज क 

देखैत चलू

बुझबैत चलू 

जिज्ञासा ..


नाना रंग पोशाक 

पहिरने 

भाँति-भाँति के 

भाषा .

Tuesday, July 26, 2022

कारगिल से जुड़ी बात ..

 आज एक बार फिर कारगिल से जुड़ी ये घटना याद आ गयी ……लड़ाई एकदम घमासान चल रही थी . शाम में दिल्ली के  विलिंगटन हॉस्पिटल से  एक डॉक्टर साहब का फोन आया ,मेरे पति से बात करना चाह रहे थे . मेरे यह कहने पर कि इस समय वो घर पर नहीं हैं बेहद परेशान लगे सो मैं पूछ बैठी -'कोई खास बात है क्या ?' वे बोले- उनका भाई कारगिल में है ,कभी भी  कोई खबर आ सकती है ….  लेकिन उसके घर का फोन खड़ाब है. किसी भी तरह फोन ठीक करा दें यही रिक्वेस्ट करने के लिये फोन किया था क्योंकि आपके पति टेलेफोन विभाग में हैं …… मैं बोली आपका काम तो ज़रूर ही हो जाता लेकिन वे सरकारी काम के सिलसिले में विदेश गये हुए हैं . मन भाव-विह्वल  हो रहा था ,सोची कुछ तो करना ही है ,उनसे बोली -मैं अपनी ओर से कोशिश करके देखती हूँ . फोन रखने के बाद ,जहाँ तक मुझे याद है रात के 8-9 बजे होंगे ,टेलीफोन विभाग के एक-दो लोगों को फोन की और सारी  बातें बताकर आग्रह की…….  कि डॉक्टर साहब के भाई का फोन ,यथासंभव जल्दी ठीक करा दें ……सुबह-सुबह डॉक्टर साहब का फोन आया, धन्यवाद देते हुये बोले -भाई से बात भी हो गई……. और मैं इतनी खुश कि क्या बताऊँ ? इन खुशियों की न तो कोई कीमत होती है न ही इनका वर्णन किया जा सकता है……

hello

 hello test message 

Monday, June 13, 2022

शाख-ए-गुल से..

 शाख-ए-गुल से 

ये मैंने 

कहा एक दिन..

अपनी खुशबू तो दे दो 

मुझे भी जरा 

कि..लुटाऊँगी मैं भी 

यहाँ से वहाँ ..

कुछ झिझकते हुये

उसने हामी भरी 

फिर कहा-

मित्र , लेकिन..

सिखा दो मुझे पहले 

अपनी तरह 

तुम ये चलना 

मुझे भी 

यहाँ से वहाँ ..

Monday, June 6, 2022

दिल से दिल तक..

दिल से दिल तक के 

रस्ते पर 

भारी,ट्रैफिक जाम लगा है.…… 

हर्ष-विषादों की 

जमघट है,

सही-गलत की 

तख्ती है,

चुप्पी की आवाज़ 

घनी है 

अहंकार की 

सख्ती है.…… 

नाराज़ी की भीड़-भाड़ में 

तरल गरल की 

हलचल है,

चढ़ा मुलम्मा छल पर 

निकला,

जिसमें जितना 

बल है……. 

झूठ-शिकायत की 

पेटी है,

इल्ज़ामों के दश्ते हैं,

राजनीति की सधी 

चाल से 

टूटे-बिखरे 

रिश्ते हैं.…….

सन्डे की सुबह ..

 'सन्डे' की सुबह, 'पॉश-कॉलोनी' की

'बालकनी' में…… जो एक 

लम्बा सन्नाटा 

बिछ जाता है…… 

शनिवार की रात का 

'साइड-इफेक्ट'

साफ नज़र आता है. 

ग्यारह-बारह बजे 

हाफ-पैंट धारी 'डैडी' 'पेपर' लिए 

केन की कुर्सी पर 

फैल जाते हैं…… 

बड़े-बड़े फूलों वाली 

खूबसूरत 'नाइटी' पहने 

घर की गृहणी,

बाहर आती है.......  

चाय-दूध,बिस्किट,

फल-वल,जाने क्या-क्या

'ट्राली' पर,आया 

लाती है....... गृहणी 

मुस्कुराती है……

डालती है कपों में 

'स्टाइल' से,चाय-दूध,

नफ़ासत की हद तक,

शक्कर मिलाती है....... और 

मेरी जिज्ञासा 

बढ़ती चली जाती है……कि 

आखिर 

ये लाम-काफ की चाय 

कैसी होती है?

इस 'साइड-इफेक्ट' का 

'आफ्टर-इफेक्ट' तो देखिये,

मेरी अपनी गरम चाय,

बिना पीये,बेवज़ह 

ठंढ़ी हो जाती है.......

Thursday, May 26, 2022

आज की बात ..

 स्वतंत्रता स्त्री और पुरुष दोनों के लिये बेहद ज़रूरी है इसमें कोई शक नहीं ..लेकिन उनके  लिये यह समझना भी उतना ही ज़रूरी है कि..स्वतंत्रता एक बहुत बड़ी जिम्मेवारी है ..अपने प्रति , परिवार के प्रति , समाज के प्रति और अंततः देश के प्रति ..स्वतंत्रता अपने आप में एक बहुत ही शक्तिशाली आचरण है ..यहाँ “ मेरी मर्ज़ी “ ही सब कुछ नहीं बल्कि इसके अलावा भी बहुत कुछ है जिसपर सबको  शत-प्रतिशत  खड़ा उतरना है ..खासकर युवा पीढ़ी को और इसी सोच को लेकर आगे चलना है ..

 लिव-इन रिलेशनशिप तो है ही एक  ग़ैरज़िम्मेदार अवैध रिश्ता . इसका हश्र कितना बुरा हो सकता है इसका अन्दाज़ होते हुये भी अगर युवा पीढ़ी इसमें खुद को ले जाती है तो फिर इतनी हाय-तौबा क्यों ? स्वतंत्रता एक बहुत बड़ी जिम्मेवारी है .. खुद के लिये,परिवार के लिये और समाज के लिये . इसीलिये खूब सोच-विचार करने के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिये . स्त्री हो या पुरुष उन्हें यह समझना  ज़रूरी है कि स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ़ “ मेरी मर्ज़ी “ नहीं होता बल्कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण दायित्व है . आधुनिकता की होड़ में युवा पीढ़ी अन्धाधून एक भेड़चाल में शामिल होने लगी है , इसके परिणाम को अनदेखा करते हुये . समय रहते उनकी आँखें खुल जायें तो सबसे ज़्यादा भला तो उनका ही होगा , भगवान उन्हें सदबुद्धि दें..