दिल से दिल तक के
रस्ते पर
भारी,ट्रैफिक जाम लगा है.……
हर्ष-विषादों की
जमघट है,
सही-गलत की
तख्ती है,
चुप्पी की आवाज़
घनी है
अहंकार की
सख्ती है.……
नाराज़ी की भीड़-भाड़ में
तरल गरल की
हलचल है,
चढ़ा मुलम्मा छल पर
निकला,
जिसमें जितना
बल है…….
झूठ-शिकायत की
पेटी है,
इल्ज़ामों के दश्ते हैं,
राजनीति की सधी
चाल से
टूटे-बिखरे
रिश्ते हैं.…….
ये तो आपने गज़ब बात कह दी । दिल से दिल का रिश्ता भी जाम है । लाजवाब रचना ।
ReplyDeleteआभार
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Deleteवाह ! इस ट्रैफिक जाम को खुलवाने का कोई इंतजाम भी है या
ReplyDeleteशायद हो ..
Deleteअच्छी कविता मृदुला जी
ReplyDeleteExcellent post. Keep posting such kind of info on your blog.
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