अभी-अभी साहित्य-अकादमी से लौटी . नए कवियों के कविता -पाठ में एक लड़की बोली.....इतिहास में कभी ये नहीं लिखा गया कि रावण का आकर्षक व्यक्तित्व और अपने प्रति आशक्ति देखकर सीता जी मन- ही- मन उससे प्रेम करने लगी थीं…… (प्रेम को वो काफी खोलकर,कुछ अशोभनीय शब्दों के माध्यम से बोली थी ). प्रोग्राम के बाद मैं उसे अपने पास बुलायी और पूछी कि तुम जो ये सीता जी के प्रेम वाली बात लिखी हो ,ये कहीं पढ़ी हो या तुम्हारी कल्पना है ?वो बोली , हाँ मेरी कल्पना है लेकिन इस बारे में काफी लिखा जा चुका है . मैं फिर पूछी कि तुमने ऐसी कोई बात कभी किसी ऐतिहासिक किताब में भी पढ़ी है क्योंकि मैं तो कभी नहीं पढ़ी हूँ....... इस पर उसका जबाब था, नहीं.……तो क्या ये तुम्हारे दिमाग की उपज है ?हाँ ,उसने मुस्कुराकर जबाब दिया और मुझे आश्चर्य हुआ……कि उसके चेहरे पर गर्व का भाव था ....... और मैं, मेरी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी……