' धड़कनों की तर्ज़ुमानी ' मेरी छठवीं कविता-संग्रह है ……और इस खुशी को आप सबों के साथ बाँट रही हूँ ,यह सोचकर कि.……. और बढ़ेगी.......
मैं ह्रदय से आभारी हूँ ,हिंदी साहित्य के जाने-माने रचनाकार श्री गंगा प्रसाद विमल का.…… कि उन्होंने 'पुरोवाक' के रूप में ,अपने अमूल्य शब्दों के खजाने से इस कविता-संग्रह को गौरवान्वित कर दिया है ………
बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई नई पुस्तक के लिए |
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई शुभकामनाऐं ----
ReplyDeleteहार्दिक बधाई !
ReplyDeletebadhaeee
ReplyDeleteहार्दिक बधाई !
ReplyDeleteबधाई दीदी! किताबें मिलेंगी कहाँ से यही मेरे सामने सबसे बड़ा सवाल होता है!!
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