Wednesday, August 20, 2014

' धड़कनों की तर्ज़ुमानी  ' मेरी छठवीं कविता-संग्रह है ……और इस खुशी को आप सबों के साथ बाँट रही हूँ ,यह सोचकर कि.……. और बढ़ेगी.......  
मैं ह्रदय से आभारी हूँ ,हिंदी साहित्य के जाने-माने रचनाकार श्री गंगा प्रसाद विमल का.…… कि उन्होंने 'पुरोवाक' के रूप में ,अपने अमूल्य शब्दों के खजाने से इस कविता-संग्रह को गौरवान्वित कर दिया है ……… 



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7 comments:

  1. बहुत-बहुत बधाई

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  2. बहुत बहुत बधाई नई पुस्तक के लिए |

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  3. बहुत बहुत बधाई शुभकामनाऐं ----

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  4. हार्दिक बधाई !

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  5. बधाई दीदी! किताबें मिलेंगी कहाँ से यही मेरे सामने सबसे बड़ा सवाल होता है!!

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