Monday, August 13, 2012

क्यूं न निकालूँ....

क्यूं न निकालूँ....
कोई मसला,कोई हल,
कोई सवाल,कोई जबाब,
पुरानी कहानियों के इतिहास से,
बचपन के हास से,
किशोरावस्था की हलचल से,
युवावस्था की कल-कल से .
यादों की सलवटों को,
खींच-तान कर सीधी करूं,
पढूं ,सुनूं ,सुनाऊँ,
नया उत्साह जगाऊँ,
नयी स्फूर्ति लाऊं.
घुमा लाऊँ अपने-आप को, 
किसी पुरानी कविता की
पंक्तियों  में ,
किसी पुराने उपन्यास की 
सूक्तियों में ,
प्रेमचंद के 'गबन'की 
'जालपा' से मिलूँ ,
बच्चन की 'मधुशाला' में 
शब्दों को पियूं .
ननिहाल में.....
आम-लीची से लदे,
पेड़ों पर 
चढ़ जाऊं,
तार,खजूर,नारियल की
ऊँचाई को  
छू आऊँ,
बिना दांत के सिपाहीजी की, 
कुटी हुई सुपारी
खा लूं ,
बड़े-बड़े छापों वाली, 
देहाती साड़ी की 
चुन्नट डालूँ .
धूप में पिघलाकर, 
नारियल का तेल 
लगाऊं,
लकड़ी की डब्बानुमा 
गाड़ी में,
उबड़-खाबड़ रास्तों से 
हो आऊँ.
सुनहले-रूपहले 
पर्चों को, 
लालटेन की रोशनी में 
खोलूँ ,
कंडे की कलम से,
डायरी के पन्नों को 
रंग लूं .
लकड़ी के चूल्हे पर बनी 
रसोई,
फूल-कांसे के बर्तन में 
सजाऊँ,
आज के लिए 
बस इतना ही.....
कल,
कहीं और से 
कुछ और लेकर 
आऊँ. 

28 comments:

  1. बस इसी में है पूरी जिन्दगी....!
    कल कुछ और लाएं...
    कुछ और सजाएँ जिंदगी...!!

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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  3. इस कविता का स्वर मन को शान्ति पहुंचाता है और एक ऐसी दुनिया का सैर कराता है जिसमें शान्त-सरल-शुद्ध हवा-सा प्रवाह है।

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  4. कच्ची सी ....सौंधी सी खुशबु आई इस कविता से....
    कल कुछ और जो लाएंगी वो भी बताइयेगा ज़रूर.....

    अनु

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  5. हर पल कुछ नया सजाएं ..बहुत सुन्दर..स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई..

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  6. बहुत अच्छा लगा पढकर.बहुत सुन्दर..

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  7. यादों की सिलवटें बहुत सुन्दर हैं... कल जो लायेंगे उसका इंतजार है....

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  8. क्‍या बात है ... एक भीनी सी सुगंध लिए यह अभिव्‍यक्ति

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  9. आज के लिए बस इतना ही ... यादों के ढेर में इतना कुछ होता है की रोज इतना भर लाना आसान है ...
    मोहक रचना ...

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  10. बहुत ज़रूरी है जीने और हंसने के लिए

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  11. मृदुला जी आपने पूरी बातें इतने सहज ढंग से कही की बचा कुछ भी नहीं बहुत ही सुन्दर .अद्भुत मनमोहक

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  12. वाह बहुत खूब ...कुछ नया सा

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  13. वाह ,,, बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,,

    वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
    अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
    RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

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  14. बहुत बढ़िया,
    भोजपुरी में कहूँ तो
    एकदम हद बा

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  15. सुन्दर कविता

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  16. यादों की सिलवटों को इस अंदाज से खोलना पसंद आया बहुत सुन्दर लिखा है बधाई आपको

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  17. आज 16/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  18. Beautiful writing and beautiful presentation Mridula ji. Happy Independence Day to you too:)

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  19. बिना दांत के सिपाहीजी की,
    कुटी हुई सुपारी
    खा लूं ,
    बड़े-बड़े छापों वाली,
    देहाती साड़ी की
    चुन्नट डालूँ .

    वाह ....!!

    यशवंत जी शुक्रिया जिन्होंने इतनी खूबसूरत रचना से अवगत कराया ....:))

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  20. मन की बात को इतनी सादगी से बयां कर देना ही कविता है...

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  21. बहुत सुन्दर प्रस्तुति............घुमा लाऊँ अपने-आप को,
    किसी पुरानी कविता की
    पंक्तियों में ,.............वाह ....!!

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  22. साहित्य के उद्यान में घूम आई हैं .... बहुत सुंदर ...

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  23. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

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  24. बीत न जाएं कहीं
    आज के स्वर्णिम पल
    खंगालने,सहेजने में
    कल की स्मृतियों को

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  25. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  26. पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूँ कि आपकी कविता का प्तावाह बहाकर ले जाता है!!

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  27. padh kar laga...kyun naa main bhi aisi ho jaun :)

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