यह कविता लगभग पच्चीस-तीस साल पहले, अपनी बेटियों को जगाने के लिए लिखी थी, हर साल वसंत- ऋतु में ज़रूर मन में घूमने लगती है.......
ऋतुराज वसंत की गलियन में
कोयल रस-कूक सुनावत हैं,
अधरों पर राग-विहाग लिए
अमरावाली में, इठलावट हैं.
मधु-मदिरा पी, भ्रमरों के दल
कलियों पर जा मंडरावत हैं,
मणि-माल लिए रश्मि-रथ पर
अब भानु उदय को आवत हैं .
लखि शोभा ऐसी नैनन सों
मृदु मन सबके पुलकावत हैं,
पनघट जागी, जागी चिड़िया
मेरी गुड़िया भी जागत हैं.
ऋतुराज वसंत की गलियन में
कोयल रस-कूक सुनावत हैं,
अधरों पर राग-विहाग लिए
अमरावाली में, इठलावट हैं.
मधु-मदिरा पी, भ्रमरों के दल
कलियों पर जा मंडरावत हैं,
मणि-माल लिए रश्मि-रथ पर
अब भानु उदय को आवत हैं .
लखि शोभा ऐसी नैनन सों
मृदु मन सबके पुलकावत हैं,
पनघट जागी, जागी चिड़िया
मेरी गुड़िया भी जागत हैं.
ऋतुराज वसंत की गलियन में
ReplyDeleteकोयल रस-कूक सुनावत हैं,
अधरों पर राग-विहाग लिए
अमरावाली में, इठलावट हैं.
अनुपम भाव ... बसंत आगमन पर
बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरेया ||
भई वाह .....
ReplyDeleteइस गीत में आनंद आ गया मृदुला जी !
बधाई आपको !
aa to gaya rituraj swagat karna hai hame..........bahut sundar rachna
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteलखि शोभा ऐसी नैनन सों
ReplyDeleteमृदु मन सबके पुलकावत हैं,
अति मधुर राग बिहाग .....
मन पुलकित कर रही है .....
बहुत खूब..बिटिया को जगाने के लिए इतनी सुंदर काव्य रचना..बधाई !
ReplyDeleteबसंत आगमन पर लयबद्ध अनुपम भाव लिए सुंदर रचना ,,,,बधाई,मृदुला जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST बदनसीबी,
वाह बहुत ही मधुर भाव संजोये हैं।
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुती।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, प्यारी रचना...
ReplyDelete:-)
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (06-02-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
वसंत के शुभागमन की उद्घोषणा करती बहुत ही सुन्दर एवं मधुर रचना ! मन महक उठा !
ReplyDeleteबहुत प्यारा लिखा है आपने.
ReplyDeleteअत्यंत मनोहारी
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना .... बसंत आ ही गया
ReplyDeleteसुन्दर काव्यात्मक लयात्मक अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबसंत का आगमन द्वारे है ....
अदभुत--बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 07-02 -2013 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
आज की हलचल में .... गलतियों को मान लेना चाहिए ..... संगीता स्वरूप
.
बहुत सुन्दर कविता .... :-)
ReplyDelete~सादर!!!
sundar rachna.
ReplyDeleteमणि-माल लिए रश्मि-रथ पर
ReplyDeleteअब भानु उदय को आवत हैं .
लखि शोभा ऐसी नैनन सों
मृदु मन सबके पुलकावत हैं,
पनघट जागी, जागी चिड़िया
मेरी गुड़िया भी जागत हैं.
मेरी आज भी हमें
उठो बालकों हुआ सवेरा
चिड़ियों ने तज दिया बसेरा
गाकर उठाती है ...
आपने याद ताजा कर दी
utho balko poora likh dijiye please yahan
Deleteवसंत का अनुपम सौंदर्य, सुंदर रचना!
ReplyDeleteBehtreen panktiya .. Abhar
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html
ye Vasant ka surabhit swagat
ReplyDeletesabke man ko ati bhawat hai .
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
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