सूरज की पहली किरण से
नहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में ,मैं
चलो स्वागत करें ,
ऋतु-वसंत का .......
आसमान की भुजाओं में
थमा दें ,
पराग की झोली
और
दूर-दूर तक उड़ायें ,
मौसम का गुलाल.
रच लें
हथेलियों पर ,
केशर की पंखुड़ियाँ,
बांध लें
सांसों में,जवाकुसुम की
मिठास ,सजा लें
सपनों में
गुलमोहर के चटकीले
रंग ,
बिखेर लें कल्पनाओं में,
जूही की कलियाँ ......कि
ऋतु-वसंत है .......
सूरज की पहली किरण से
नहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में, मैं
चलो स्वागत करें.
हवाओं के आँचल पर
खोल दें
ख्वाबों के पर ,
तरु-दल के स्पंदन से
आकांछाओं के
जाल बुनें ,
झूम आयें गुलाब के
गुच्छों पर,
नर्म पत्तों की
महक से चलो, कुछ
बात करें.
आसमानी उजालों में
सोने की धूप
छुयें,
मकरंद के पंखों से,
कलियों को
जगायें....कि
ऋतु-वसंत है.......
सूरज की पहली किरण से
नहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में, मैं
चलो स्वागत करें.
नहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में ,मैं
चलो स्वागत करें ,
ऋतु-वसंत का .......
आसमान की भुजाओं में
थमा दें ,
पराग की झोली
और
दूर-दूर तक उड़ायें ,
मौसम का गुलाल.
रच लें
हथेलियों पर ,
केशर की पंखुड़ियाँ,
बांध लें
सांसों में,जवाकुसुम की
मिठास ,सजा लें
सपनों में
गुलमोहर के चटकीले
रंग ,
बिखेर लें कल्पनाओं में,
जूही की कलियाँ ......कि
ऋतु-वसंत है .......
सूरज की पहली किरण से
नहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में, मैं
चलो स्वागत करें.
हवाओं के आँचल पर
खोल दें
ख्वाबों के पर ,
तरु-दल के स्पंदन से
आकांछाओं के
जाल बुनें ,
झूम आयें गुलाब के
गुच्छों पर,
नर्म पत्तों की
महक से चलो, कुछ
बात करें.
आसमानी उजालों में
सोने की धूप
छुयें,
मकरंद के पंखों से,
कलियों को
जगायें....कि
ऋतु-वसंत है.......
सूरज की पहली किरण से
नहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में, मैं
चलो स्वागत करें.
सुन्दर कविता.
ReplyDeleteऋतुराज बसंत का भव्य स्वागत...सुन्दर रचना!
ReplyDeleteसुन्दर रचना............गूँथकर चाँदनी को
ReplyDeleteअपने
बालों में ,मैं
चलो स्वागत करें ,
ऋतु-वसंत का .......
कविता बहुत सुंदर है पर बहुत छोटे फॉन्ट हैं, पढ़ने में कुछ असुविधा होती है..
ReplyDeleteबेहद सुन्दर।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ,,,
ReplyDeleteआप कृपया बड़े फॉण्ट में लिखे पढने में परेशानी होती है,,,
RECENT POST... नवगीत,
आपकी बात बात फूलों की ...।वसन्त सी ही सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteसूरज की पहली किरण से
ReplyDeleteनहाकर तुम
और
गूँथकर चाँदनी को
अपने
बालों में, मैं
चलो स्वागत करें.
बहुत सुंदर स्वागत बसंत का ...
bahut badhiya ...
ReplyDeleteवाह वाह मृदुला जी ! मन खिल उठा ! वसंत के स्वागत के लिए बड़ी मनभावन तैयारी की है आपने ! बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeletebahut sunder...
ReplyDeletebahut achchha
ReplyDeleteवसन्त सी ही सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteबसंत सी खिली सुंदर कविता ...!!
ReplyDeleteवसंत का स्वागत... सुन्दर भाव, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteAwesome..
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