आज सुबह में
चाय नहीं
कुछ ठीक बनी थी,
दूध ज़रा ज्यादा था
या
कि चीनी खूब पड़ी थी
या फिर शायद
उलझन कोई
मन में हुई
खड़ी थी,
आज सुबह में
चाय नहीं
कुछ ठीक बनी थी.
चाय की पत्ती
कम थी
या
कि रंग नहीं आया था
या फिर शायद
नींद लगी थी
मन कुछ अलसाया था,
आज सुबह में
चाय नहीं
कुछ ठीक बनी थी.
behtreen...
ReplyDeleteसुबह की चाय यदि स्वाद के अनुसार न हो तो दिन भर कुछ खोया खोया सा रहता है..सुंदर कविता..
ReplyDeleteमन फीका होने के कारण चाय में स्वाद भी नहीं आया..
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना....
आपकी पोस्ट 27 - 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
सुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
सुबह की चाय में अगर स्वाद न हो तो पूरा दिन बेस्वाद हो जाता है ,,,,
ReplyDeleteRecent Post: कुछ तरस खाइये
चाय की पत्ती
ReplyDeleteकम थी
या
कि रंग नहीं आया था
या फिर शायद
नींद लगी थी
मन कुछ अलसाया था,
आज सुबह में
चाय नहीं
कुछ ठीक बनी थी.
sometimes it happens in life unexpected.
मन का जायका ठीक नहीं तो मन का जायका ठीक नहीं !
ReplyDeletelatest post मोहन कुछ तो बोलो!
latest postक्षणिकाएँ
kahi na kahi to man bhi phika hoga...........
ReplyDeleteकुछ तो होता है मन में ठहरा नहीं है ...
ReplyDeleteबिम्ब के माध्यम से दिल की बात खोलना .... बहुत लाजवाब लिखा है ...
waah..mza aa gya..
ReplyDeleteLAZVAB AUR TESTY CHAI
ReplyDeleteअनमने हो कर यही होता है!
ReplyDeleteहोता है ऐसा भी..... बहुत कुछ मन से ही जुड़ा है ...
ReplyDeleteवहा बहुत खूब बेहतरीन
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteदिल की बात कह डाली. सुंदर कविता.
ReplyDeleteकितनी बार जी है आपकी ये कविता । एकदम सच्ची सुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteअसाधारण प्रस्तुति मृदुला जी बधाई स्वीकारे सच ही है चाय का स्वाद,रंग सही न हो तो मौसम बेमज़ा हो जाता है और खासकर उस सुबह की चाय की प्याली का तो कहना ही क्या कमाल लिखा अपने एक बार फिर बधाई ...
ReplyDelete.............. बहुत खूब बेहतरीन
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