देखी होगी
तुमने........
मेरी सोती-जागती
कल्पनाओं से,
जन्म लेती हुई
कविताओं को,प्रसव वेदना से
मुक्त होते हुये,
सुनी होगी........
उनकी पहली किलकारी,
मेरी डायरी के
पन्नों पर
और
महसूस किया होगा......
सृजन का सुख
मेरे मन के
कोने-कोने में.......
महसूस किया होगा......
ReplyDeleteसृजन का सुख
मेरे मन के
कोने-कोने में.......
कविता के जन्म का सुन्दर सटीक मन को जचनेवाली अद्भुत व्याख्या
कविता का जन्म बहुत अच्छा विवरण |अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteआशा
सटीक चित्रण किया है मनोभावो का
ReplyDeleteमहसूस किया होगा......
ReplyDeleteसृजन का सुख
मेरे मन के
कोने-कोने में.......
मनोभावों का सुंदर सटीक चित्रण,,,,
RECENT POST : गीत,
सुंदर सटीक चित्रण
ReplyDeleteमेरी भावनाओं को स्वर देती हुई कविता.. कई बार मैंने अपने कमेन्ट में भी कहा है और अपने अभिन्न मित्र से भी कहता रहता हूँ कि जब भी मैं सारी रात की प्रसव पीड़ा झेलता हूँ, तब प्रातः एक बहुत खूबसूरत रचना जन्म लेती है..
ReplyDeleteआज आपकी कविता ने मेरे मन की बात कह दी!! धन्यवाद आपका!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (01-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
कम शब्दों मे कितना सुंदर वर्णन ...!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया|
ReplyDeleteसृजन का सुख और कविताओं की पहली किलकारी... लाजवाब भाव...
ReplyDeleteवाह .... बहुत सुंदर, भावों की शब्दों में ढलने की यात्रा का सुख....
ReplyDeleteसृजन का सुख ...........कितना सुंदर वर्णन ...
ReplyDeleteआपका काव्य चित्रण एवं कविता में सन्निहित भाव अच्छे लगे। मेरी नई पोस्ट 'बहती गंगा' पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteवाह ..मृदुलाजी ..बहुत ही सुन्दर ....
ReplyDeleteवाह!! क्या बात है!
ReplyDeleteसार्थक सृजन का सुख सृजनकर्ता के साथ पढने वालों को भी अभिभूत करता है !
ReplyDeleteबढ़िया !
सृजन का सुख .... वेदना के बाद ही मिलता है ... सुंदर एहसास
ReplyDeleteयही सृजन तो मानसिक संतोष प्रदान करता है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या कहने
आहा ये कविता का जन्मना और इस प्रसूती का सुख ।
ReplyDeleteमहसूस किया होगा......
ReplyDeleteसृजन का सुख ... अर्थात शब्दों की किलकारी......
खुबसूरत अभिव्यक्ति ।
इस सुख की कोई बराबरी नहीं ...
ReplyDeleteआभार !